त एव हि त्रयो लोकास्त एव त्रय आश्रमाः । त एव हि त्रयो वेदास्त एवोक्तास्त्रयोऽग्नयः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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