Adhyay : 2 Mantra : 204 Back to listings तेषां त्रयाणां शुश्रूषा परमं तप उच्यते । न तैरनभ्यनुज्ञातो धर्मं अन्यं समाचरेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related