Adhyay : 2 Mantra : 199 Back to listings धर्मार्थावुच्यते श्रेयः कामार्थौ धर्म एव च । अर्थ एवेह वा श्रेयस्त्रिवर्ग इति तु स्थितिः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related