आचार्यश्च पिता चैव माता भ्राता च पूर्वजः । नार्तेनाप्यवमन्तव्या ब्राह्मणेन विशेषतः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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