कार्पासं उपवीतं स्याद्विप्रस्योर्ध्ववृतं त्रिवृत् । शणसूत्रमयं राज्ञो वैश्यस्याविकसौत्रिकम्

विप्रस्य ब्राह्मण का उपवीतम् यज्ञोपवीत कार्पासम् कपास का बना राज्ञः क्षत्रिय का शणसूत्रमयम् सन के सूत का बना, और वैश्यस्य वैश्य का आविक सौत्रिकम् भेड़ की ऊन के सूत का बना स्यात् होना चाहिए, वह उपवीत ऊर्ध्ववृतम् दाहिनी ओर से बायीं ओर का बटा हुआ, और त्रिवृत् तीन लड़ों से तिगुना करके बना हुआ होना चाहिए ।

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