. मुज्जालाभे तु यदि उपर्युक्त मूंज आदि न मिलें तो क्रमशः कुश-अश्मन्तक – बल्वजैः कुश, अश्मन्तक और बल्वज नामक घासों से तिवृता उसी प्रकार तिगुनी – तीन बटों वाली करके एकेन ग्रन्थिना फिर एक गांठ लगाकर वा अथवा त्रिभिः पंच्चभिः एव तीन या पांच गांठ लगाकर कत्र्तव्याः मेखलाएं बनानी चाहिए ।