Adhyay : 2 Mantra : 176 Back to listings परीवादात्खरो भवति श्वा वै भवति निन्दकः । परिभोक्ता कृमिर्भवति कीटो भवति मत्सरी । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related