ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी मधु – मांस गन्धं माल्यं रसान् स्त्रियः मधु – मांस, गंध, माला, रस, स्त्री और पुरूष का संग सर्वाणि यानि शुक्तानि सब खटाई प्राणिनां हिंसनम् प्राणियों की हिंसा ……………………..वर्जयते छोड़ देवें ।
(स० प्र० तृतीय समु०)
ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी मधु – मांस गन्धं माल्यं रसान् स्त्रियः मधु – मांस, गंध, माला, रस, स्त्री और पुरूष का संग सर्वाणि यानि शुक्तानि सब खटाई प्राणिनां हिंसनम् प्राणियों की हिंसा ……………………..वर्जयते छोड़ देवें ।
(स० प्र० तृतीय समु०)