. ब्रह्मचारी नित्यम् प्रतिदिन देव – ऋषि – पितृ – तर्पणम् विद्वानों, ऋषियों, बुजुर्गों की प्रसन्नताकारक कार्यों से तृप्ति – संतुष्टि च और स्नात्वा शुचिः स्नान करके, शुद्ध होकर देवता – अभ्यर्चनम् परमात्मा की उपासना च तथा समिधा – आधानम् अग्निहोत्र भी कुर्यात् किया करे ।