सेवेतेमांस्तु नियमान्ब्रह्मचारी गुरौ वसन् । सन्नियम्येन्द्रियग्रामं तपोवृद्ध्यर्थं आत्मनः

गुरौ वसन् गुरू के समीप अर्थात् गुरूकुल में रहते हुए ब्रह्मचारी ब्रह्मचारी आत्मनः तपोवृद्धयर्थम् अपने तप की वृद्धि के लिये इन्द्रियग्रामं सन्नि – यम्य इन्द्रियों के समूह (२।६४-६७) को वश में करके इमान् तु नियमान् सेवेत इन आगे वर्णित नियमों का पालन करे ।

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