यद्यस्य विहितं चर्म यत्सूत्रं या च मेखला । यो दण्डो यच्च वसनं तत्तदस्य व्रतेष्वपि ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *