परपत्नी तु या स्त्री स्यादसंबन्धा च योनितः । तां ब्रूयाद्भवतीत्येवं सुभगे भगिनीति च

परस्त्री के नामोच्चारण का निषेध –

या परपत्नी च योनितः असम्बन्धा स्त्री स्यात् जो कोई दूसरे की पत्नी और योनि से सम्बन्ध न रखने वाली स्त्री अर्थात् बहन आदि न हो तो ताम् उसे ‘भवति’ ‘सुभगे’ इति एवं बू्रयात् ‘भवति!’ आप ‘सुभगे!’ सौभाग्यवति! ‘भगिनी!’ बहन इस प्रकार के शब्दों से सम्बोधित करे ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *