इसी से सब मनुष्यों को उचित है कि (वैदिकैः पुण्यैः कर्मभिः) वेदोक्त पुण्यरूप कर्मों से द्विजन्मनाम् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अपने सन्तानों का निषेकादिः शरीरसंस्कारः कार्यः निषेकादि – गर्भाधान आदि संस्कार करें, जो इह च प्रेत्य पावनः इस जन्म वा परजन्म में पवित्र करने वाला है ।
(स० प्र० दशम समु०)