तौ धर्मं पश्यतस्तस्य पापं चातन्द्रितौ सह । याभ्यां प्राप्नोति संपृक्तः प्रेत्येह च सुखासुखम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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