स तानुवाच धर्मात्मा महर्षीन्मानवो भृगुः । अस्य सर्वस्य शृणुत कर्मयोगस्य निर्णयम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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