Adhyay : 11 Mantra : 99 Back to listings सुवर्णस्तेयकृद्विप्रो राजानं अभिगम्य तु । स्वकर्म ख्यापयन्ब्रूयान्मां भवाननुशास्त्विति । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related