Adhyay : 11 Mantra : 43 Back to listings तेषां सततं अज्ञानां वृषलाग्न्युपसेविनाम् । पदा मस्तकं आक्रम्य दाता दुर्गाणि संतरेत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related