यथा महाह्रदं प्राप्य क्षिप्तं लोष्टं विनश्यति । तथा दुश्चरितं सर्वं वेदे त्रिवृति मज्जति ।

जैसे फेंका हुआ ढेला बड़े तालाब में गिरकर पिघलकर नष्ट हो जाता है उसी प्रकार तीन विद्याओं वाले वेदों को जानने पर सब बुरे आचरण मनुष्य को प्रभावित नही करते ।

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