ऋचो यजूंषि चान्यानि सामानि विविधानि च । एष ज्ञेयस्त्रिवृद्वेदो यो वेदैनं स वेदवित् ।

ऋग्वेद, यजुर्वेद, और इनसे भिन्न सामवेद के अनेक मन्त्र यह तीनों ’त्रिवृत्वेद’´जानना चाहिए, जो इस त्रिवृत्वेद अर्थात् सभी वेदों को जानता है वही वस्तुतः ’वेदवेत्ता’ है ।

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