प्रायश्चितकर्त्ता प्रायश्चितकाल में प्रतिदिन शक्ति के अनुसार अधिक से अधिक सावित्री=गायत्री मन्त्रों और ’पवित्र करने की प्रार्थना’ वाले मन्त्रों का जप करे, ऐसा करना सभी व्रतों में प्रायश्चित के लिए उत्तम माना गया है ।
प्रायश्चितकर्त्ता प्रायश्चितकाल में प्रतिदिन शक्ति के अनुसार अधिक से अधिक सावित्री=गायत्री मन्त्रों और ’पवित्र करने की प्रार्थना’ वाले मन्त्रों का जप करे, ऐसा करना सभी व्रतों में प्रायश्चित के लिए उत्तम माना गया है ।