एतं एव विधिं कृत्स्नं आचरेद्यवमध्यमे । शुक्लपक्षादिनियतश्चरंश्चान्द्रायणं व्रतम्

यवमध्यमचान्द्रायण व्रत को करने वाला व्यक्ति इसी चान्द्रायण की सम्पूर्ण विधिको शुक्लपक्ष के आदि दिन से प्रारम्भ करके निश्चित क्रम से करे अर्थात् शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन से एक-एक ग्रास भोजन का कम करता जाये फिर कृष्णपक्ष में एक-एक ग्रास बढाये ।

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