एकैकं ह्रासयेत्पिण्डं कृष्णे शुक्ले च वर्धयेत् । उपस्पृशंस्त्रिषवणं एतच्चाण्द्रायणं स्मृतम्

(पूर्णिमा के दिन पूरे दिन में 15 ग्रास भोजन करके फिर) कृष्णपक्ष मे एक-एक ग्रास भोजन प्रतिदिन कम करता  जाये, (इस प्रकार करते हुए अमावस्या को पूर्ण उपवास रहेगा, फिर शुक्लपक्ष-प्रतिपदा को पूरे दिन में एक ग्रास भोजन करके) शुक्लपक्ष में एक-एक ग्रास भोजन पूरे दिन में बढ़ाता जाये, इस प्रकार करते हुए तीन समय स्नान करे, यह ’चान्द्रायण’ व्रत कहाता है ।

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