Adhyay : 11 Mantra : 134 Back to listings घृतकुम्भं वराहे तु तिलद्रोणं तु तित्तिरौ । शुके द्विहायनं वत्सं क्रौञ्चं हत्वा त्रिहायनम् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related