Adhyay : 10 Mantra : 83 Back to listings वैश्यवृत्त्यापि जीवंस्तु ब्राह्मणः क्सत्रियोऽपि वा । हिंसाप्रायां पराधीनां कृषिं यत्नेन वर्जयेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related