यत्र त्वेते परिध्वंसाज्जायन्ते वर्णदूषकाः । राष्ट्रिकैः सह तद्राष्ट्रं क्षिप्रं एव विनश्यति

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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