Adhyay : 10 Mantra : 128 Back to listings यथा यथा हि सद्वृत्तं आतिष्ठत्यनसूयकः । तथा तथेमं चामुं च लोकं प्राप्नोत्यनिन्दितः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related