Adhyay : 10 Mantra : 106 Back to listings श्वमांसं इच्छनार्तोऽत्तुं धर्माधर्मविचक्षणः । प्राणानां परिरक्षार्थं वामदेवो न लिप्तवान् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related