Adhyay : 10 Mantra : 105 Back to listings अजीगर्तः सुतं हन्तुं उपासर्पद्बुभुक्षितः । न चालिप्यत पापेन क्षुत्प्रतीकारं आचरन् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related