वायोः अपि उस वायु के भी विकुर्वाणात् विकारोत्पादक अंश से विरोचिष्णुः उज्जवल तमोनुदम् अन्धकार को नष्ट करने वाली भास्वत् प्रकाशक ज्योतिः उत्पद्यते ‘अग्नि’ उत्पन्न होती है तत् रूप गुणम् उच्यते उसका गुण ‘रूप’ कहा है ।
वायोः अपि उस वायु के भी विकुर्वाणात् विकारोत्पादक अंश से विरोचिष्णुः उज्जवल तमोनुदम् अन्धकार को नष्ट करने वाली भास्वत् प्रकाशक ज्योतिः उत्पद्यते ‘अग्नि’ उत्पन्न होती है तत् रूप गुणम् उच्यते उसका गुण ‘रूप’ कहा है ।