आकाशात् तु विकुर्वाणात् उस आकाश के विकारोत्पादक अंश से सर्वगन्धवहः सब गन्धों को वहन करने वाला शुचिः शुद्ध और बलवान् शक्तिशाली वायुः ‘वायु’ जायते उत्पन्न होता है सः वै वह वायु निश्चय से स्पर्शगुणः स्पर्श गुण वाला मतः माना गया है ।
आकाशात् तु विकुर्वाणात् उस आकाश के विकारोत्पादक अंश से सर्वगन्धवहः सब गन्धों को वहन करने वाला शुचिः शुद्ध और बलवान् शक्तिशाली वायुः ‘वायु’ जायते उत्पन्न होता है सः वै वह वायु निश्चय से स्पर्शगुणः स्पर्श गुण वाला मतः माना गया है ।