योऽसावतीन्द्रियग्राह्यः सूक्ष्मोऽव्यक्तः सनातनः । सर्वभूतमयोऽचिन्त्यः स एव स्वयं उद्बभौ ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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