एताण् द्विजातयो देशान्संश्रयेरन्प्रयत्नतः । शूद्रस्तु यस्मिन्कस्मिन्वा निवसेद्वृत्तिकर्शितः

. द्विजातयः द्विजाति अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य लोग एतान् प्रयत्नः संश्रयेरन् इन उपर्युक्त देशों में प्रयत्न करके आश्रय ग्रहण करें – निवास करें वृत्तिकर्शितः शूद्रः तु जीविका के अभाव से पीडि़त शूद्र तो यस्मिन् कस्मिन् वा निवसेत् जिस किसी देश में जाकर निवास कर सकता है ।

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