कृष्णसारस्तु चरति मृगो यत्र स्वभावतः । स ज्ञेयो यज्ञियो देशो म्लेच्छदेशस्त्वतः परः

. यत्र जिस देश में स्वभावतः कृष्णसारः चरति स्वाभाविक रूप से ही काला मृग विचरण करता है सः यज्ञियः देशः ज्ञेयः वह यज्ञों से सुशोभित अथवा पवित्र देश जानना चाहिए, अतः परः म्लेच्छदेशः इससे भिन्न म्लेच्छ देश है ।

‘‘जो आर्यावत्र्त देश से भिन्न देश हैं वे दस्यु देश और म्लेच्छ देश कहाते हैं ।’’

(स० प्र० अष्टम समु)

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