मनु के आदिपुरुष होने में भाषाविज्ञान के तथा विदेशी प्रमाण: डॉ. सुरेन्द कुमार

वर्तमान में ‘भाषा विज्ञान’ (Linguastics)के नाम से प्रसिद्ध शास्त्र यूरोपीय विद्वानों की देन है। इस विद्या में भाषाओं के मूल, विकास और पारस्परिक सबन्धों का अध्ययन किया जाता है। इस शास्त्र के अध्ययन से मनु के प्रमुख आदिपुरुष होने के अनेक आश्चर्यजनक पोषक प्रमाण प्राप्त हुए हैं। उनका भारतीय साहित्य के निष्कर्षों से अद्भुत तालमेल है।

(क) संस्कृत, हिन्दी आदि भारतीय भाषाओं में आदमी के वाचक जितने नाम हैं, जैसे- मानव, मनुष्य, मनुज, मानुष ये सब मनु मूल शद से बने हैं, जिनका अर्थ है-‘मनु के वंशज या मनु की सन्तान।’ जैसे सभी बनिया स्वयं को महाराजा अग्रसेन का वंशज मानकर ‘अग्रवाल’ कहते हैं, उसी प्रकार मनु के वंशज ‘मनुष्य’ हैं। भाषाविज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया है कि अधिकांश एशिया और यूरोपीय देशों की भाषाएं आर्यभाषाएं हैं और अधिकांश जातियां आर्यों की वंशज हैं। यही कारण है कि उनकी भाषाओं में प्रयुक्त मनुष्य वाचक शद ‘मनु’ से बने हुए हैं। बीस भागों वाली ‘दि ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी’ में ‘मैन’ (Man) शब्द पर इनका विवरण दिया है-

अंग्रेजी में- MAN (मैन), जर्मनी में- MANN (मन्न), MANESH (मनेश), लैटिन व ग्रीक में- MYNOS (माइनोस), स्पेनिश में – MANNA (मन्ना)

यूरोप की अन्य भाषाओं में भी मनु मूल शद पर आधारित प्रयोग प्रचलित हैं, जैसे – मेनिस्, मनुस्, मनीस्, मनेस, मैन्स् आदि। (भाग 1, पृ0 284)

सिन्धी, फारसी और ईरानी में ‘मनुस्’ के स को ह होकर (जैसे सप्ताह का हप्ता) ‘मनुह’ बना, फिर वह ‘नूह’ रह गया। इसी प्रकार आदिम (ब्रह्मा) का आदम रूप प्रचलित हो गया। बाइबल और कुरान में आदम और नूह की कथा आती है। ये वैदिक साहित्य के देव आदिम = ब्रह्मा और मनु ही हैं। वर्तमान भाषा-विज्ञान ने इस मूल वंश परपरा को प्रकाश में ला दिया है।

(ख) यही स्थिति भारतीय भाषाओं की है, चाहे वे दक्षिण की हों अथवा अन्य दिशाओं की। सभी में ‘मनु’ मूल शद से बने शद ही मनुष्य के वाचक हैं। निनलिखित तालिका से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है-

कन्नड़     –    मनुष्य,       असमिया   –    मानुह (ष को ह)

तमिल     –    मनिदन्,      उड़िया     –    मनिष, मणिष

तेलगु      –    मनिषि,       बंगला      –    मानुष

मलयालम  –    मनुष्यम्,      गुजराती    –    माणस

सिन्धी     –    मानहू ,       राजस्थानी  –    माणस

(ष को ह)     हरयाणवी   –    माणस

पंजाबी     –    मनुख ,       मराठी     –   माणूस, मनुष्य

(ष को ख)

(ग) इसका समर्थन पाश्चात्य इतिहासकार मेनिंग स्वरचित इतिहास ‘एन्सिएन्ट एण्ड मेडिवल इंडिया’ में इस प्रकार करता है-

“It has been remarked by various authors (as Kuhn and Zeitschrift IV 94 ff) that in analogy with Manu as

the father of mankind or of the Aryas, German mythology recognises Manus as the ancestor of Teutons. The english Man and the German Manu appear also to be akin to the word Manu as the German Menesh presents a close resemblance to Manush of Sanskrit.” (Vol.I,P.118)

अर्थात्‘जैसा कि कुहन और जाइत्सक्रिट आदि विभिन्न लेखकों ने भी यह उल्लेख किया है कि मानवजाति और आर्यों के मूलपुरुष मनु हैं, इस मान्यता से जर्मन पुराकथाओं की भी मान्यता मेल खाती है कि जर्मन मनु ट्यूटोन्ज् का भी पूर्वज रहा है। अंग्रेजी का ‘मैन’ तथा जर्मन का मनु संस्कृत के ‘मनु’ के समान है, ऐसे ही जर्मन का ‘मनेश’ और संस्कृत के ‘मनुष्य’ में घनिष्ठ समानता विद्यमान है।’ अर्थात् मनु इन सब का आदिपुरुष है, यह भाषाविज्ञान और परपरा दोनों से सिद्ध होता है।

(घ) इसके साथ अपने पूर्वज मनु की एक और स्मृति विश्व की जातियां लेकर गई हैं। वह है वैवस्वत मनु के समय हुई ‘जलप्रलय’ की कथा। विश्व के प्रमुख धर्मग्रन्थों बाइबल और कुरान में यह नूह के नाम से वर्णित है जो ‘मनुस्’ (मनुहनूह) का अपभ्रंश है। इनके अतिरिक्त संसार के आधे से अधिक देशों के साहित्य में यह कथा थोड़े परिवर्तन के साथ सुरक्षित है।

(ङ) कबोडिया, मिस्र, ईरान आदि देशों के साहित्य में अभी तक उनके आर्य और मनु की सन्तान होने के उल्लेख मिलते हैं। एक प्रमाण लीजिए। बाइबल और कुरान में वर्णित नूह के दो पुत्र थे-1. हेम(=सूर्य), 2. सेम (=सोम=चन्द्र) इनमें हेम के वंशज मिस्र में रहते हैं जो स्वयं को सातवें वैवस्वत मनु की सूर्यवंशी सन्तान मानते हैं-

“The reader will not readily forget the city of the sun ‘Helispolis’ or ‘Menes’. The first Egyptian king of the sun, the ‘Menu Voivasowat’ or patriarch of the solar race, nor his statue, that of the great ‘Menoo’, whose voice was said to statue the rising sun.” (India is Greece, P. 174)       

 

अर्थात्-‘पाठक सूर्य के नगर (स्थान) ‘हेलिस्पोलिस्’ अथवा ‘मेनस्’ को सुगमता से नहीं भुला पायेगा और न ही मिस्र के प्रथम सूर्य राजा ‘मनु वैवस्वत’ को, जो कि सूर्यवंशियों का आदिपुरुष है, और जिस महान् मनु की प्रतिमा उगते हुए सूर्य के रूप में उसके नाम को प्रतिबिबित कर रही है, उसको भी नहीं भुला पायेगा।’

भाषाविज्ञान द्वारा यह स्पष्ट हुआ कि ‘मनु स्वायंभुव’ मानवों के आदिपुरुष हैं, अतः उन द्वारा रचित संविधान ‘मनुस्मृति’ भी विश्व का आदिकालीन प्रथम संविधान है।

(च) ‘‘थाई देश में राम खएंग के अतिरिक्त भी कई ऐसे शासक हुए हैँ जिनका नामोल्लेख शासकीय व्यवहार में ‘राजा’ ‘महाराजा’ शदों के साथ ‘राम’ उपाधि से किया जाता था, जैसे- महाराजा राम प्रथम, राम द्वितीय, राम तृतीय आदि। यह संया नौ तक चल गयी है। वास्तव में थाई शासकों के समान कुछ अन्य देशों के शासक भी अपने आपको रामायण के नायक राम के वंशज मानते रहेहैं।’’ (‘दैनिक ट्रियून’ चंडीगढ़ संस्करण दिनांक 14-10-1990, ‘रामकथा की सृजन भूमि रहा है थाई देश’ : डॉ. वेदज्ञ आर्य)

श्री राम सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। वे वैवस्वत मनु के पुत्र इक्ष्वाकु के सूर्यवंश में हुए। वैवस्वत मनु सातवां मनु था जो प्रथम मनु स्वायंभुव का वंशज था। इस प्रकार मनु स्वायंभुव आदिपुरुष था।

(छ) ‘‘कबुज (कंबोडिया) में संस्कृत में लिखे अनके लेख मिले हैं जिनसे मालूम होता है कि वहां के लोगों का भी विश्वास था कि वे मनु की सन्तान है।’’ (भारतीय संस्कृति के विस्तार की कहानी : भगवतशरण उपाध्याय, पृ0 42)

इस प्रकार विश्व के अधिकांश प्राचीन देशों में उनका प्राचीन इतिहास वहां के निवासियों को मनु का वंशज वर्णित करता है।

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