महर्षि दयानन्द जी उनके पूर्व ऋषियों से भिन्न थे क्या देश काल परिस्थिति के अनुसार?

महर्षि दयानन्द जी उनके पूर्व ऋषियों से भिन्न थे क्या देश काल परिस्थिति के अनुसार?

समाधानः 

महर्षि दयानन्द जी से पूर्व पतन्जलि, पाणिनि से लेकर ब्रह्मा पर्यन्त (ये क्रम नीचे से ऊपर की ओर है) जितने ऋषि हुए वे महर्षि से हजारों वर्ष पूर्व हुए हैं, उस समय की परिस्थिति के अनुसार उनकी वेशभूषा, रहन-सहन आदि रहा होगा। वे केशधारी होते थे यह तो कह नहीं सकते। जो ऋषि संन्यास आश्रम का पालन कर रहे होंगे वे महर्षि मनु के अनुसार क्षौर कर्माी करवाते होंगे।

‘‘क्लृप्तकेशनखश्मश्रुः’’

इस मनु के वचनानुसार।

आप भिन्नता शारीरिक रूप से देख रहे हैं या रहन-सहन वा बौद्धिक सामर्थ्य के रूप में देख रहे हैं। हाँ ऋषित्व तो सब ऋषियों में एक जैसा होना चाहिए। ज्ञान का विषय पृथक्-पृथक् हो सकता है। कोई विज्ञान विषय प्रमुख रख कार्य करता रहा हो और चिकित्सा विषय को लेकर-इनके विषय भिन्न होने से ज्ञान भी भिन्न होगा।

अन्य ऋषियों व महर्षि दयानन्द जी में सबसे बड़ी भिन्नता तो यह है कि महर्षि दयानन्द को सबसे अधिक विरोधियों का सामना करना पड़ा। इतना सामना अन्य किसी ऋषि ने नहीं किया होगा, क्योंकि उन ऋषियों के सामने ऐसी परिस्थिति ही नहीं थी।

एक बात और स्पष्ट कर दें कि हम आर्य महर्षि के प्रति श्रद्धातिरेक में आकर कह बैठते हैं कि ‘‘ऋषि दयानन्द जैसे न हुआ है और न होगा’’ यह कहकर हम अन्य ऋषियों व परमात्मा का अपमान कर रहे होते हैं, महर्षि दयानन्द से पूर्व भी बहुत से योग्य ऋषि हुए हैं और परमेश्वर की व्यवस्था से इससेाी अधिक योग्य ऋषि आगे हो सकते हैं।

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