महर्षि दयानन्द जी उनके पूर्व के ऋषियों से भी अधिक महान् थे क्या? कपिल, जैमिनि, गौतम आदि ऋषियों ने दर्शन प्रस्तुत किये हैं। ऋषि दयानन्द जी ने तो ऋग्वेद के छः मण्डल पूर्ण और सातवें मण्डल के कुछ मन्त्र तक और यजुर्वेद का पूर्ण भाष्य किया है तो हम ऋषियों से भी अधिक ज्ञान में सामर्थ्य में महर्षि दयानन्द जी को महान् मान सकते हैं क्या?
समाधानः-
ऋषियों में ऐसे तुलना करना ठीक नहीं। अभी हमने पूर्व में कहा कि सभी ऋषियों का ऋषित्व तो एक ही होता है। उसका कार्य क्षेत्र भिन्न-भिन्न हो सकता है। महर्षि कपिल, कणाद आदि ने दर्शन शास्त्रों की रचना कर वेद का ही कार्य किया था। ऐसे महर्षि दयानन्द ने वेद भाष्य कर वेद का कार्य किया। ऐसा कदापि नहीं है कि महर्षि कपिल, कणाद आदि में वेद का भाष्य करने की योग्यता नहीं थी ओर यह योग्यता ऋषि दयानन्द में ही थी। सभी ऋषि लोग वेद भाष्य करने में समर्थ होते थे क्योंकि ऋषि कहते ही मन्त्रार्थदृष्टा को हैं। जब महर्षि दयानन्द से पूर्व के ऋषि भी वेद भाष्य की योग्यता रखते थे और महर्षि दयानन्द भी रखते थे तो इनमें कौन महान् और कौन हीन ऐसा नहीं कह सकते। महर्षि दयानन्द भी महान् थे और अन्य ऋषि भी महान् थे। ऋषियों में तुलना करके हमें एक को महान् और दूसरे को हीन सिद्ध करने का कोई अधिकार नहीं है। अस्तु।