खुदा ने हर बात लिख रखी है।
खुदा खुद लिखता है या कोई उसने कलर्क या पेशकार इस काम के लिए नियत कर रखा है, हर बात लिखते रहने का उद्देश्य क्या है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
इन्ना नह्नु नुह्यिल्-मौता व नक्तुबु………….।।
(कुरान मजीद पारा २२ सूरा यासीन रूकू १ आयत १२)
और हमने हर चीज खुली असल किताब यानी लौहे महफूज में लिख रखी है।
समीक्षा
डायरी में जैसे वकील व मुनीम जी हर बात को नोट करके रखते हैं, वैसे ही याद्दाश्त के लिए अरबी खुदा भी अपनी खुली किताब नाम की डायरी में लिख लेता था। वह असल किताब ही सीधी खुदा ने क्यों नहीं भेजी? यह क्या गारन्टी है कि मौजूदा कुरान ही असल किताब की वास्तविक नकल है?