कुरान समीक्षा : खुदा का जमीन और आसमान से बाते करना

खुदा का जमीन और आसमान से बाते करना

साबित करें कि क्या बेजान पदार्थों से बातें करना सम्भव हो सकता है? जो कुछ चीज ही नहीं है जैसे आसमान, उससे बातें कैसे की जा सकती हैं और वह जवाब कैसे दे सकता है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

सुम्मस्तवा इलस्समा-इ व हि-य…………।।

(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू २ आयत ११)

जमीन और आसमान दोनों से कहा कि तुम दोनो आओ चाहे खुशी से या लाचारी से? दोनों ने कहा- हम खुशी से आये।

समीक्षा

खुदा का जमीन और आसमान से बातें करना और उनका जवाब देना असम्भव है?

अगर ठीक है तो भक्तों का अपनी बेजान मूर्तियों से बातें करना मनौती मांगना भी क्यों न ठीक माना जावेगा?

4 thoughts on “कुरान समीक्षा : खुदा का जमीन और आसमान से बाते करना”

  1. OM..
    ARYAVAR, NAMASTE..
    MAINE YEH ‘पारा’/’सूरा हामीम’/’रूकू२’ NAHIN SAMJHAA…KRIPAYAA MUJHE SAMJHAAYEN.. AUR KURAN KI सूरा- अस-सज्दा:आयत-११ ME YEH BAT NAHIN LIKHAA HAI..
    KYAA SATYA HAI, BATAANE KI KRIPAA KAREN..
    DHANYAWAAD

  2. OM..
    ARYAVAR NAMASTE..
    KSHAMAA CHAAHTAAHUN ARYAVAR, IS SANSHAYA KAA NIVAARAN HOGAYAA HAI…MUJHE MILGAYAA:
    “SURA NO-41, Fussilat (Expounded) or Ha Mim”
    AAYAAT-11: Moreover He comprehended(4474) in His design the sky,and it had been (as) smoke: He said to it
    and to the earth: “Come ye together,willingly
    or unwillingly.” They said: “We do come (together), in
    willing obedience.”
    DHANYAWAAD..

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