कासगंज समाज का ऋणी हूँ :-
आर्यसमाज के एक ऐतिहासिक व श्रेष्ठ पत्र ‘आर्य समाचार’ उर्दू मासिक मेरठ का कोई एक अंक शोध की चिन्ता में घुलने वाले किसी व्यक्ति ने कभी देखा नहीं। इसके बिना कोई भी आर्यसमाज के साहित्य व इतिहास से क्या न्याय करेगा? श्रीराम शर्मा से टक्कर लेते समय मैं घूम-घूम कर इसका सबसे महत्त्वपूर्ण अंक कहीं से खोज लाया। कुछ और भी अंक कहीं से मिल गये।
तबसे स्वतः प्रेरणा से इसकी फाईलों की खोज में दूरस्थ नगरों, ग्रामों व कस्बों में गया। कुछ-कुछ सफलता मिलती गई। श्री यशपाल जी, श्री सत्येन्द्र सिंह जी व बुढाना द्वार, आर्य समाज मेरठ के समाज के मन्त्री जी की कृपा व सूझ से कई अंक पाकर मैं तृप्त हो गया। इनका भरपूर लाभ आर्यसमाज को मिल रहा है।
अब कासगंज के ऐतिहासिक समाज ने श्री यशवन्तजी, अनिल आर्य जी, श्री लक्ष्मण जी और राहुलजी के पं. लेखराम वैदिक मिशन से सहयोग कर आर्य समाचार की एक बहुत महत्त्वपूर्ण फाईल सौंपकर चलभाष पर मुझ से बातचीत भी की है। वहाँ के आर्यों ने कहा है, हम आपके ऋणी हैं। आपने हमारे बड़ों की ज्ञान राशि की सुरक्षा करके इसे चिरजीवी बना दिया। इससे हम धन्य-धन्य हो गये। आर्य समाचार एक मासिक ही नहीं था। यह वीरवर लेखराम का वीर योद्धा था।
पं. घासीराम जी की कोटि का आर्य नेता व विचारक इसका सपादक रहा। इसमें महर्षि के अन्तिम एक मास की घटनाओं की प्रामाणिक सामग्री पं. लेखराम जी द्वारा सबको प्राप्त हुई। वह अंक तो फिर प्रभु कृपा से मुझे ही मिला। उसी के दो महत्त्वपूर्ण पृष्ठों को स्कै निंग करवाकर परोपकारिणी सभा को सौंपे हैं।
पं. रामचन्द्र जी देहलवी तथा पं. नरेन्द्र जी के जन्मदिवस पर इन अंकों पर एक विशेष कार्य आरभ हो जायेगा। इसके प्रकाशन की व्यवस्था यही मेधावी युवक करेंगे