देश की राजनीति में कुछ लोगों को धर्मनिरपेक्षता के दौरे पड़ते ही रहते हैं। अभी-अभी श्री राहुल ने अपने एक विचित्र भाषण में काँग्रेस के चुनाव निशान को गुरु नानक, महावीर स्वामी व हज़रत अली सबका हाथ बताकर वोट बटोरने के लिये धार्मिक उन्माद का कार्ड खेला है। हज़रत मुहम्मद का हाथ बताने से न जाने राहुल कैसे चूक गया।
काँग्रेस का चुनाव निशान तो यह था ही नहीं। वह तो दो बैलों की जोड़ी था। यह निशान तो इन्दिरा जी का था। राहुल को इतिहास पढऩा चाहिए। मौलाना आजाद और मनमोहन सिंह व सिब्बल जी से ही पूछ लिया होता। काँग्रेस का नारा था:-
‘‘न जात पर न पात पर। इन्दिरा जी के हाथ पर’’
गली-गली मे यह नारा गूँजा था। इन्दिरा जी के हाथ को राहुल ने किस-किस का हाथ बता दिया। यह अनर्थकारी गंदी राजनीति है। देश को इससे बचाना चाहिये। झूठ तो झूठ ही है।