कुरान समीक्षा : काफिरों से लड़ो- जजिया अर्थात टैक्स लो

काफिरों से लड़ो- जजिया अर्थात टैक्स लो

कुरान वालों! जमाना बदल गया है पाकिस्तानी फौजें भारत के काफिरों से तीन तीन बार पिट चुकी हैं। इस्त्राएल ने अरबी मुसलमानों को रोंद डाला है। खुदा की फरिश्तों की फौजें भी पिटकर भाग चुकी हैं। अतः खुदा मुसलमानों को दूसरों के खिलाफ भड़काना छोड़कर शराफत के उपदेश दे, ताकि आपस में प्रेम पैदा हो सके।

कातिलुल्लजी-न ला यअ्मिनू-न………..।।

(कुरान मजीद पारा १० सूरा रूकू ४ आयत २९)

किताब वाले जो न खुदा को मानते हैं और न कयामत को और न अल्लाह और उसके पैगम्बर की हराम की हुई चीजों को हराम समझते हैं और न सच्चे दीन अर्थात् इस्लाम को मानते हैं, इनमें लड़ो यहाँ तक की जलील होकर (अपने) हाथों जजिया दें।

समीक्षा

कुरान विचार स्वतन्त्रता का घोर विरोधी है और इस्लाम से भिन्न विचार रखने वालों पर जुल्म करने का हुक्म देता है और यह ऊपर स्पष्ट हैं इतिहास साक्षी है कि ऐसी आयतों के प्रभाव से मुसलमानों ने संसार में खून की नदियाँ बहाई थी और दूसरों पर घोर अत्याचार किए थे। क्या यह फिसाद की बातें सिखाने वाला अमन अर्थात् शान्ति का सख्त विरोधी नहीं है ? बंगना देश में हुए अत्याचार इसी की मिसाल हैं।

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