रहमान व रहीम वाला तर्कः: राजेन्द्र जिज्ञासु

रहमान व रहीम वाला तर्कः-
अप्रैल प्रथम 2016 के अंक में श्रीयुत पं. रणवीर जी ने विश्व पुस्तक मेले हैदराबाद में मुस्लिम मौलवियों के इस प्रचार अभियान को विफल बनाने सबंधी उनका लेख पढ़ लिया होगा। अनेक उच्च शिक्षित प्रतिष्ठित आर्यों ने बार-बार यह अनुरोध किया है कि वेद आदि आर्ष ग्रन्थों में हजरत मुहमद के नाम का उल्लेख है- मुसलमानों के इस दुष्प्रचार के उत्तर में एक पुस्तक अवश्य लिखकर दूँ। वे तो पुराणों में भी मुहमद का नाम निकाल लाने का तमाशा करते हैं। हिन्दू -हिन्दू की रट लगाने वालों से इस दुष्प्रचार के प्रतिकार की आशा नहीं की जा सकती।
इस सेवक ने ‘कुरान सत्यार्थ प्रकाश के आलोक में’ तथा ‘ज्ञान घोटाला’ लघु पुस्तक में इसका उत्तर देकर सबकी बोलती बन्द कर दी है। आर्य समाज में पादरी स्काट व सर सैयद अहमद की रट लगाने वाले इन आक्रमणों का सामना नहीं कर सकते। जब रणवीर जी व राहुल जी ने चुनौती दी कि कुरान में प्रायः हर सूरत के आरभ में अल्लाह मियाँ महर्षि दयानन्द का नाम लेकर ही अपना कथन करता है। वे कुरान ले आये और कहा, ‘‘दिखाओ कहाँ है स्वामी दयानन्द का नाम?’’
झट से इन आर्य वीरों ने ‘रहमान-उल-रहीम’ निकालकर कहा, ‘‘यह लो दयालु दयानन्द या दयावान दयानन्द के नाम से आरभ करता हूँ, लिखा है या नहीं?’’ पाठक पढ़ चुके हैं कि यह सुनकर उनके पाँव तले से धरती खिसक गई। वे भाग खड़े हुए। हम आपसे बात नहीं करते। आप जाओ, जान छोड़ो। परोपकारिणी सभा अपने पाक्षिक ‘परोपकारी’ के द्वारा प्रत्येक मोर्चे पर आपको खड़ी दिखेगी। आप भी कुछ करो। सहयोग करो। कुछ सीखो। ऐसे साहित्य का प्रसार करो।

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