इनकी सामग्री समाप्त हो चुकी है

इनकी सामग्री समाप्त हो चुकी है

ऐसी ही घटना पं0 भीमसेनजी शास्त्री एम0ए0 ने अपने एक लेख में दी है। आर्यसमाज कोटा ने एक शास्त्रार्थ के लिए पण्डित श्री गणपतिजी शर्मा को बुलाया गया था। पौराणिकों की ओर से

पण्डित श्री आत्मानन्दजी षड्-दार्शनिक बुलाये गये। आर्यसमाज ने पण्डित श्री शिवशंकरजी काव्यतीर्थ को भी अजमेर से बुला लिया, वे भी शास्त्रार्थ के ठीक समय पर पधार गये थे। कोटा निवासी पण्डित लक्ष्मीदज़ शर्मा (व्याकरण के प्रकाण्ड पण्डित) आदि कई सनातनी पण्डित शास्त्रार्थ में पण्डित आत्मानन्दजी की सहायता के लिए उपस्थित थे। शास्त्रार्थ में कुछ प्रश्न-उज़र के पश्चात् श्री पण्डित गणपति शर्माजी ने यह भी कह दिया-‘‘श्री पण्डित आत्मानन्दजी ने अब तक अपनी कोई एक भी बात नहीं कही। अब तक जो कुछ उन्होंने कहा, वह सब अमुक-अमुक ग्रन्थों की सामग्री थी, वह अब समाप्त हो चुकी है, आप देख लेंगे कि अब पण्डितजी के पास

मेरे प्रश्नों का कोई उज़र नहीं है।’’

पण्डित श्री गणपतिजी शर्मा की ज़विष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई। प्रतिपक्षी पर पण्डितजी का ऐसा रोब पड़ा कि वह एक शज़्द भी न बोल सका। बस, खड़ा होकर ‘बोल सनातनधर्म की जय’ कहकर चल दिया।

स्मरण रहे कि पण्डित श्री लक्ष्मीदज़जी कहा करते थे कि पण्डित गणपतिशर्मा दर्शनों के ही नहीं, प्रत्युत व्याकरण के भी उद्भट विद्वान् थे। जब कभी पण्डित गणपति शर्मा कोटा में प्रचारार्थ

आते, श्री पण्डित लक्ष्मीदज़जी उन्हें सुनने के लिए आर्यसमाज में अवश्य आया करते थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *