क्या इगलामबाजी से चालू हुई?
बतावें कि झगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी क्या सारे अरब में जारी थी? क्या अब भी यह बुराई वहां के मुसलमानों में जारी है? यह बुराई इस्लाम में जायज है या नहीं? हफवातुल्मुसलमीन अर्थात् मुसलमानों की बकवास नामक पुस्तक में (सफा ४० व ४१ पर) ‘‘वतीफीउल्दब्र’’ अर्थात् गुदा मैथुन के जायज होने की बात लिखी है, वह सही है या नहीं?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
अ-तअ् तूनज्जुक्रा-न मिनल………..।।
(कुरान मजीद पा १९ सूरा शुअरा रूकू ९ अगस्त १६५)
क्या तुम दुनियाँ के लोगों में से लड़कों पर दौड़ते हो ।
व त-ज-रू-न मा ख-ल-क…………….. । ।
(कुरान मजीद पा १९ सूरा शुअरा रूकू ९ अगस्त १६६)
और तुम्हारे पालन कत्र्ता ने तुम्हारे लिये बीबियां दी हैं उन्हे छोड़ देते हो बल्कि तुम सरकश कौम हो।
समीक्षा
कुरान के इस वर्णन से ज्ञात होता है कि अरब में इगलामबाजी का उस जमाने में खूब प्रचार था, सम्भवतः यह बुराई वहीं से स्थानों में भी फैली थी।
अरबी खुदा या मुहम्मद ने इगलामबाजी अर्थात् लौंडेबाजी पसन्द अरबी लोगों को अपने मजहब में फंसाने के लिए बहिश्त में खूबसूरत गोरे चिट्टे उम्र के नाबालिग लोंडों (गिलमों) का लालच कुरान में पेश किया था।
हम समझते हैं कि जिस किताब को खुदाई कहा जाता है उसमें ऐसी गन्दी बातों का जिक्र होना अफसोस की बात है, उस पर कलंक है।
क्या आप कोई प्रमाण दे सकते हैं की वे जन्नत में दिया जाने वाले लड़के सेक्स के लिए है।
to aap batayen wo kis liye hein