घरों में सब लोग मिलकर यग्य कर अपनी आहुति देते हैं

ओउम्
घरों में सब लोग मिलकर यग्य कर अपनी आहुति देते हैं
डा.अशोक आर्य
प्रत्येक घर में, प्रत्येक परिवार में प्रति दिन यज्ञ होता है तथा इस घर के सब लोग, इस परिवार के सदस्य लोग इस यज्ञ में मिल कर बैठते हैं तथा इस यज्ञ में मिलकर ही अपनी आहुति देते हैं । घर की पवित्र अग्नि से यज्ञ की अग्नि को प्रदीप्त कर , उस अग्नि में यथावश्यक आहुति डालते हैं । इस प्रकर के यज्ञों के द्वारा इस घर के लोग महानˎ अग्नि का पूजन करते हैं । इस तथ्य को इस चोथे मन्त्र में इस प्रकार व्यक्त किया गया है : –
प्रतेअग्नयो॓Sग्निभ्योवरंनि:सुवीरस:शोशुचन्तद्युमन्त: ।
यत्रानर:समासतेसुजाता: ॥ रिग्वेद ७.१.४ ॥
गार्हपत्य अग्नि अर्थातˎ घर की अग्नि , सदा हम उस अग्नि को प्रणयन करते हैं, हम सदा उस अग्नि को बुलाते हैं , सदा उस अग्नि को जलाते हैं , जिस अग्नि का हमने आह्वान करना होता है । इस लिये ही कहा जाता है कि हे गार्हपत्य अग्नियों ! तुझ से ही य यज्ञ की अग्नियां जला करें । यह अग्नियां अच्छे से ज्योतित हो कर , यह अग्नियाँ तेज को धारण कर, यह अग्नियाँ तीव्र होकर अच्छी प्रकार से , ठीक से रोग के कृमियों को , रोग के कीटाणुओं को कम्पित करने वाली, भयभीत करने वाली हों, यह अग्नियाँ रोगाणुओं को मारने वाली हों । इस प्रकार यह यज्ञ की अग्नि सब प्रकार के भूत आदि को पीछे धकेल दे , भगा दे । किसी प्रकार के भय को रहने ही न दे ।
इस अग्नि अर्थात इस यज्ञ की अग्नि के पास सदा ही उत्तम प्रकृति वाले अथवा कुलीन लोग ही रहते हैं, इस यज्ञ की अग्नि के पास सदा अच्छे लोग ही निवास करते हैं । यह सब लोग बडे प्रेम से इस अग्नि के समीप अपना आसन लगा कर रहते हैं । यह लोग ,जिस प्रकार नाभि के आरे होते हैं , वैसे ही इस यज्ञाग्नि के चारों ओर मिलकर गति करते हुये , कर्म करते हुये, यज्ञ सम्बन्धी व्यवहार करते हुये यज्ञ के आसन पर आसीन होते हैं । इस प्रकार यह लोग यज्ञ की इस अग्नि का पूजन करते हैं तथा इस में यथावश्यक घी तथा सामग्री की आहुति देते हैं ।
इस मन्त्र परमपिता परमात्मा प्राणी मात्र को उपदेश करते हुए बता रहे हैं कि यज्ञ के क्या लाभ्होते है ?, यज्ञ के क्या आभ होते हैं, जिस परिवार में नित्य प्रति यज्ञ होता है, उस परिवार में सदा सुखों की वर्षा क्यों होती रहती है ? परिवार क्यों रोग रहित होकर धनधान्य से भर जाता है ? इन सब गुणों का , इन लाभों का वर्णन करने का अभिप्राय यह है कि जो परिवार सुखों की अभिलाषा करता है , जो परिवार चाहता है कि ए सब सदस्य सदा इरोग रहें , जो परिवार चाहता है कि हमारे परिवार में कभी कोई कष्ट न आवे तथा सदा उनके पास धन धान्य के भण्डार भरे रहें तो इस परिवार में प्रतिदिन दो समय यज्ञ किया जाना चाहिये |

डा. अशोक आर्य

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