दुनियाँ की जिन्दगी धोखे की है
दुनियाँ जीवों का कर्म क्षेत्र तथा कर्म करने की अपनी स्वतन्त्रता का उपभोग करने का उत्तम स्थान है। धोखे की जिन्दगी तो इस्लामी जन्नत में होगी जहाँ हूरें, गिलमें, बेशुमार औरतें, शराब खोरी आदि का लालच दिया गया है? साबित करें कि जन्नत की काल्पनिक जिन्दगी से इस दुनियाँ की जिन्दगी में क्या कमी है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
कुल्लु नफसिन् जाईकतुल्मौति………।।
(कुरान मजीद पारा ३ सूरा आले इम्रान रूकू १९ आयत १८५)
…..और दुनिया की जिन्दगी तो धोखे की पूंजी है।
समीक्षा
यदि दुनिया की जिन्दगी धोखे की पूंजी है तो खुदा ने जीवों को दुनियाँ में जन्म देकर गुनाह क्यों किया? उन्हें सीधा जन्नत अर्थात् स्वर्ग में क्यों नहीं भेज दिया? जिसे कुरान असली जिन्दगी का मजा मानता है जहां हर मियाँ को ५०० हूरें ४००० क्वांरी अछूती औरतें व ८००० ब्याहता औरतों के अलावा बेशुमार गोरे चिट्टे लोंडे अर्थात् गिलमें ऐश करने को मिलने तथा भर-भर प्याले सौंठ और कपूर मिली शराब के पीने को मिलते। अरबी खुदा की नजर में लौंडेबाजी व औरतों से ऐश करने व शराब पीने की जिन्दगी ही तो असली मजे की जिन्दगी है।