मुख्य रूप से मान्य ग्रन्थ तो ईसाइयो का ही है – पर कुछ भारतीय मुख्य रूप से हिन्दू भाई खासकर – आदिवासी – पिछड़ा वर्ग एवं हमारे अति प्रिय दलित भाई तथा कुछ ऐसे परिवार भी जो पढ़े लिखे समझदार हैं धनाढ्य भी पर फिर भी अपने सत्य सनातन शुद्ध वैदिक धर्म को त्याग – अन्धविश्वास पाखंड और अनाचार में न जाने क्यों प्रवत्त होते जा रहे है ?
शायद इसकी एक बड़ी वजह है – ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दुओ के मानस पटल पर अंकित देवी देवताओ की भाव भंगिमाओं रूपों आकृति से मिलते जुलते रूप आकार आदि से ईसा की लुभावनी मूर्ति फोटो आदि बना कर “हिन्दुओ” के देवी देवताओ में “सबसे बड़ा देवता” अथवा “ईश्वर पुत्र” घोषित करवाना और “इकलौता मुक्तिदाता” बताकर धर्मांतरण करवाना यदि इससे काम न बने तो हिन्दुओ खासकर गरीब, निर्बल, आदिवासी तथा दलित भाइयो को धन का लालच देकर उनको ईसाई बनाना।
आखिर हिन्दुओ के देवी देवताओ की शरण में इस मुक्तिदाता को क्यों जाना पड़ा ? ऐसी क्या मजबूरी ईसाइयो के लिए हो गयी की जिस ईसा को मुक्तिदाता बताते नहीं थकते उसे हिन्दू देवी देवताओ के जैसे रूप आकर आदि से हिन्दुओ को दिखाकर मुर्ख बनाकर ठगने का गोरखधंधा आखिर एक अन्धविश्वास नहीं तो क्या है ? यदि हिन्दुओ के देवी देवता मुक्ति नहीं दे सकते तो किस प्रकार ईसा उन्ही देव देवी के रूप आकार धारण कर मुक्ति करवाएगा ?
आइये एक नजर डाले आखिर ईसा अकेला मुक्तिदाता कैसे ? ये सवाल इसलिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ईसा से भी बड़ा मुक्तिदाता था ईसा के ही समय पर फिर ऐसा क्या हुआ जो ईसा को ही मुक्तिदाता माना गया अथवा जबरदस्ती घोषित किया कहीं ऐसा तो नहीं एक समुदाय विशेष पर थोपा गया “तथाकथित मुक्तिदाता” ????
आइये एक नजर डाले ——-
हजरत यूहन्ना ने हजरत मसीह को शुद्ध किया अर्थात – बपतिस्मा देकर निष्पाप किया, दूसरे शब्दों में प्रायश्चित कराया। यथा –
1. तब यीशु यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के लिए उसके पास गलील से यदन को गया। (मत्ती ३-१३)
2. और यीशु बपतिस्मा लेकर तुरंत पानी से ऊपर आया। (मत्ती ३-१६ )
3. बपतिस्मा जो इसका दृष्टांत है, और शरीर का मैल दूर करना नहीं, परन्तु परमेश्वर के साथ सीधे विवेक का अंगीकार है। (पितरस ३-२१)
4. यूहन्ना…………….. पापमोचन के लिए पश्चाताप के लिए बपतिस्मा का उपदेश करने लगा। (लूका ३-३)
केवल ईसा को अकेला मुक्तिदाता बताने वाले और हिन्दू भाइयो को अन्धविश्वास में गर्त करने वाले ईसाई मिशनरी के लोग कृपया बताये ईसा अकेले कैसे मुक्तिदाता हुआ ?
यदि ईसा अकेला मुक्तिदाता है तो फिर हजरत मसीह को हजरत यूहन्ना ने बपतिस्मा किसलिए दिया ?
1. ईश्वर के साथ सीधे विवेक के लिए।
2. पापमोचन के लिए।
3. प्रायश्चित के लिए।
अब पाठकगण स्वयं विचार करे की हजरत मसीह को तो खुद पाप से मुक्ति करवाने के लिए बपतिस्मा लेना पड़ा वो भी हजरत यूहन्ना से फिर ईसा अकेले “मुक्तिदाता” कैसे ?
खैर एक विचार इस पर भी कर लेवे की बपतिस्मा करवाने वाला (ईसा को पाप मुक्त बनाने वाला) हजरत यूहन्ना – बपतिस्मा लेना वाला हजरत मसीह जिसे मनुष्यो की शुद्धि करवाने वाला बताया जाता है – उसने स्वयं हजरत यूहन्ना को पाप क्षमा करवाने वाला (बपतिस्मा) देने वालो में सबसे बड़ा कहा है –
देखिये साक्षी स्वयं इंजील ही है – यथा
“में तुमसे सच कहता हूँ जो स्त्रियों से जन्मा है, उनमे से यूहन्ना बपतिस्मा देने हारे से बड़ा कोई नहीं।” (मत्ति ११-११)
यदि ईसाई भाई कहे की हजरत मसीह खुदा या खुदा के बेटे थे – तो भाई सवाल उठेगा की खुदा के बेटे के पाप स्वयं खुदा नहीं धो सका – उसके लिए हजरत यूहन्ना ही काम आये – इस लिहाज से तो हजरत यूहन्ना खुदा से बड़े सिद्ध हुए और ईसा से भी –
दूसरी बात की ईसा खुदा के अकेले बेटे नहीं थे – जैसे की ईसाई मिशनरी झूठ फैला रही हैं की ईसा ईश्वर के पुत्र थे – देखिये
हजरत मसीह भी स्त्री से जन्मे थे, अतः वह भी यूहन्ना से बड़े नहीं हो सकते जैसा की ईसा ने स्वयं अपने मुह से कहा फिर खुदा या खुदा के बेटे कैसे हो गए ?
यूहन्ना की माता बूढ़ा होने के कारण पुत्र उत्पन्न नहीं कर सकती थी, और ईसाइयो के कथनानुसार हजरत मरियम कुंवारी होने से संतान उत्पन्न नहीं कर सकती थी।
अतः दोनों ही पवित्र आत्मा से उत्पन्न होने के कारण खुदा बेटे होने चाहिए। यदि हजरत यूहन्ना ईश्वर के बेटे नहीं तो फिर ईसा मसीह कैसे ?
तो अब ईसाई भाई जरा बतावे की ईसा अकेला मुक्तिदाता कैसे और साथ ही अकेला खुदा का बेटा भी सिद्ध नहीं होता – इसलिए प्रार्थना है ये अन्धविश्वास, पाखंड और अनाचार छोड़ – सत्य सनातन वैदिक धर्म में लौटिए – अपने शुद्ध रूप को अपनाये –