आखिर क्यों मैं एक ईसाई नहीं हु

यह लेख ईसाइयों के अनुरूप इस धारणा से प्रेरित है की यदि में ऐसा विश्वास करू की बाइबिल ही एक सच्ची ईश्वरीय किताब है तो मैं एक ईसाई बन जाऊंगा। मगर मेरे वैदिक धर्मी बने रहने के बहुत से अनेक कारण हैं जिन पर बाइबिल का ईश्वरी पुस्तक होने का विश्वास नहीं हो पाता। उनमे से कुछ मुख्य कारण हैं :

1. “सर्वोच्च शक्ति” मात्र एक “सनाई पर्वत” अथवा ७वे आसमान पर रहती है ? यह बात आज के आधुनिक विज्ञानं सम्मत तार्किक आधार युक्त नहीं।

जबकि दूसरी और वेद कहते हैं – कण कण में ईश्वर व्याप्त है और यही विज्ञानं का मूलभूत आधार है क्योंकि प्रत्येक अणु परमाणु को गति देने का काम ईश्वर करता है यदि ऐसा न हो तो ब्रह्माण्ड की गतिशीलता बंद होकर नाश का कारण होगा जबकि ईश्वर प्रत्येक अणु परमाणु में व्याप्त होकर उसे गति देता है जिससे ब्रह्माण्ड निरंतर नियमवत अपने कार्य में तल्लीन है

2. “सर्वोच्च शक्ति” का दयालु और प्रेम भाव बाइबिल के ईश्वर से नदारद रहना।

जबकि ईश्वर ने मनुष्यो को एक दूसरे से प्रेमभाव बरतने को कहा और सभी जीवो को अपने पुत्रवत समझकर अपना प्रेम एकसामान सभी जीवो पर लुटाया।

3. “सर्वोच्च शक्ति” का अर्थात बाइबिल के ईश्वर का बाइबिल अनुसार पूजा के लिए अधिकार न देकर एक मनुष्य की पूजा करवा पाखंड को बढ़ावा देना।

वेद में ईश्वर ने कहीं भी अपना गर्वगण्ड न करके मनुष्यो को स्वतंत्र कर्म करने को कहा – उस कर्म में ईश्वर की उपासना केवल उस ईश्वर का धन्यवाद स्वरुप है – जिसका स्वर्ग नरक से कुछ लेना देना नहीं

4. बाइबिल में “सर्वोच्च शक्ति” यानी बाइबिल के ईश्वर का अपनी कही बातो से मुकर जाना या फिर एक बात से दूसरी विरोधी बात करना।

वेद में ईश्वर की कल्याणमयी वाणी से सिद्ध है कहीं भी एक से उलट दूसरी बात वा शिक्षा नहीं पायी जाती

5. “सर्वोच्च शक्ति” का विज्ञानं सम्मत ज्ञान न होना।

वेद में तृण से लेके ब्रह्माण्ड पर्यन्त सब वस्तुओ का यथावत ज्ञान है

6. “सर्वोच्च शक्ति” का अपने बनाये मनुष्यो और उनके सद्भाव को देखकर, जलना, हिरस करना, चिढ़ना, द्वेष, घृणा और पक्षपात आदि करना।

वेद में ईश्वर ने कहा “मनुर्भव” अर्थात मनुष्य बनो – कहीं भी कोई सम्पर्दायी बात नहीं – ना ही कहीं – हिन्दू, मुस्लिम अथवा ईसाई बन जाने लालच या स्वर्ग नरक का डर।

7. “सर्वोच्च शक्ति” द्वारा महिलाओ के प्रति द्वेष, घृणा और नफरत आदि ज्ञान से उनका शोषण करवाना।

वेद ने महिलाओ को अबला नहीं सबला कहा, निर्मात्री कहा, ये सिद्ध करता है वेद नारियो को “देवी” पवित्र कहता है

8. “सर्वोच्च शक्ति” द्वारा भाई-बहन, माता पुत्र, पिता पुत्री, आदि अनेक रिश्तो की मर्यादाओ को तार तार करवाना।

पूरी सृष्टि जब से बनी तब से ही रिश्तो की मर्यादाओ का पूरा ध्यान वेद ने दिया है, इसीलिए सृष्टि की आदि में अनेक स्त्री पुरषो की उत्पत्ति ईश्वर करता है – ना की आदम हव्वा बना के भाई बहन का रिश्ता कलंकित करता है

9. “सर्वोच्च शक्ति” द्वारा उपलब्ध करवाई “ईश्वरीय पुस्तक” में ज्ञान, विज्ञानं की जगह, छल, कपट, धोखा, वैमनस्य, इतिहास, जादू, टोना, और अतार्किक अन्धविश्वास आदि भ्रम युक्त अज्ञान का समावेश होना।

वेद में केवल ज्ञान, विज्ञानं, और पदार्थविद्या का यथावत ज्ञान है, आडम्बर, ढकोसले, और पाखंड का वेद से दूर दूर तक कोई नाता नहीं

10. “सर्वोच्च शक्ति” द्वारा इस किताब पर बिना तर्क, प्रमाण आदि युक्तियों द्वारा सिद्ध किये केवल विश्वास ले आने पर ही स्वर्ग भेजने का प्रलोभन देना।

वेद कहता है – इसलिए ना मानो क्योंकि वेद है इसलिए मानो क्योंकि तुम्हारे पास बुद्धि है, सत्य को ग्रहण करो और असत्य का त्याग करो

कोई भी ऐसी पुस्तक जो अपने को ईश्वरीय होने का दम्भ भरती हो, लेकिन उसमे यदि ऐसी विवादास्पद बाते अथवा विषय पाये जाए तो क्या उसे ईश्वरीय पुस्तक का दर्ज़ा दिया जा सकता है ?

क्या कोई “सर्वोच्च शक्ति” ऐसी बेतुकी और निराधार बाते अपनी पुस्तक में लिखवा सकती है ?

में जानता हु अधिकांश लोग इन सभी बातो को ईश्वरीय होने से नकार देंगे – और यही वजह है की मेने भी बाइबिल को ईश्वरीय होने से इन्ही कारणों के मद्देनजर नकार दिया है। क्योंकि ये पुस्तक या ऐसी ही अन्य सम्प्रदायों की पुस्तके – ईश्वरीय होने का दम्भ तो भरती हैं मगर उनके सभी दावे जमीनी हकीकत पर खोखले सिद्ध होते हैं क्योंकि ईश्वरीय पुस्तक ज्ञान और विज्ञानं से भरी होनी चाहिए नाकि ऐसी बुद्धि विहीन बातो से।

जाहिर है इस लेख से सभ्य समाज सहमत होगा और इस पुस्तक को केवल कुछ मनुष्यो द्वारा अपने फायदे और स्वार्थ की पूर्ति हेतु बनाई गयी पुस्तको की संज्ञा देगा नाकि ईश्वरीय ग्रन्थ की।

अभी भी समय है, सम्पूर्ण विश्व के कल्याण हेतु, ब्रह्माण्ड की शांति हेतु, आइये लौटिए ईश्वर की सच्ची, कल्याणमयी वाणी की और, ज्ञान की और, न्याय और विज्ञानं की और

आओ लौट चले वेदो की और

नमस्ते

अभी पॉइंट तो बहुत उठ सकते हैं, मगर फिलहाल पोस्ट बड़ी न हो जाए इस हेतु मुख्यतया इन्ही १० बिन्दुओ पर विचार करेंगे।

शेष अगले भाग में –

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