Category Archives: आचार्य श्रीराम आर्य जी

कुरान समीक्षा : कयामत को लोग देखते सुनते व बोलते हुए उठेंगे

कयामत को लोग देखते सुनते व बोलते हुए उठेंगे

कुरान में कयामत के रोज सुर फूंकने वाली बात का खुलासा करें।

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व नुफि-ख फिस्सूरि फ-सअि-क………….।।

(कुरान मजीद पारा २३ सूरा जुमर रूकू ७ आयत ६८)

(कयामत के दिन) फिर दुबारा सुर फूंका जायेगा। फिर वे खड़े हो जायेंगे और देखने लगेंगे।

व हुम् यस्तरिखू-न फीहा रब्ब्ना………..।।

(कुरान मजीद पासरा २२ सूरा फातिर रूकू ४ आयत ३७)

और यह लोग दोजख में चिल्लाते होंगे कि हमारे परवर्दिगार! हमको (यहां से) निकाल फिर हम जैसे कर्म करते थे वैसे नहीं करेंगे अर्थात् सुकर्म करेंगे।

समीक्षा

ऊपर की कौन सी बात कुरान की झूठी है और कौन सी सच है? कुरानी खुदा ही इसे बेहतर जान सकता है ।

कुरान समीक्षा : कयामत को लोग अन्धे, बहरे, और गूंगे होकर उठेंगे

कयामत को लोग अन्धे, बहरे, और गूंगे होकर उठेंगे
कुरान में दोनों परस्पर विरूद्ध बातें क्यों लिखी गई हैं। इनमें कौनसी बात झूठ है और क्यों ?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व मय्यह्दिल्लाहु फहु वल्मुह्तदि…………।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू ११ आयत १७)
कयामत के दिन हम उन लोगों का औंधे मुह अर्थात् मुँह के बल अन्धे, गूंगे और बहरे करके उठावेंगे।

कुरान समीक्षा : विवशतः खुदा ने चमत्कार भेजना बन्द कर दिया

विवशतः खुदा ने चमत्कार भेजना बन्द कर दिया

खुदा यह बात भी क्यों न जान सका कि लोग आगे चलकर हमारे चमत्कारों को झुठला देंगे और उनकी सरकाशी बढ़ेगी, अरबी खुदा की नातजुर्बेकारी क्या इससे प्रगट नहीं है?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

मा म-न-अ्ना अन्नुर्सि-ल…………।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू ६ आयत ५९)

और हमने चमत्कारों को भेजना बन्द किया क्योंकि अगले लोगों ने झुठलाया और हम चमत्कार सिर्फ डराने की गरज से भेजा करते हैं।

व इज् कुल्ना ल-क इन्-न…………।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू ६ आयत ६०)

बावजूद हम इन लोगों को डराते हैं लेकिन हमारा डराना इनकी सरकाशी को बढ़ाता है।

समीक्षा

बेचारे अरबी खुदा की इससे बड़ी परेशानी और क्या हो सकती है कि उसे अपनी नातजुर्बेकारी और लोगों से हार मानने की खुद ही घोषणा करनी पड़ती है। लोग उसके चमत्कारों से डरने के बजाय उसकी मजाक उड़ाते रहे और उसे अपनी हार मानकर अपने गलती पर पछताना पड़ा तथा आगे चमत्कार भेजना बन्द कर देना पड़ा। खुदा की इस बेबसी में हमारी उसके साथ पूरी सहानुभूति है।

कुरान समीक्षा : खुदा कुरान सुनने पर परदा लगा देता है

खुदा कुरान सुनने पर परदा लगा देता है

मुसलमानों को कुरान का प्रचार बिना खुदा से पूछे नहीं करना चाहिए क्यों कि खुदा नहीं चाहता कि कुरान का प्रचार गैर मुस्लिमों में किया जावे। यदि वह चाहता तो परदे नहीं लगाता। कुरान का प्रचार गैरों में इस आयत के विरूद्ध क्यों न माना जावे?

देखिये कुरान में कहा गया है कि-

व इजा क-रअ्तल् कुर्आ-न ज…………….।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू ५ आयत ४५)

(ऐ पैगम्बर) जब तुम कुरान पढ़ते हो तो हम तुम में और उन लोगों में जिनको कयामत पर विश्वास नहीं एक परदा कर देते हैं।

व ज-अल्ना अला कुलू बिहिम्………..।।

(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू ५ आयत ४६)

उनके दिलों पर आड़ रखते हैं ताकि कुरान को समझ न सकें और उनके कानों में बोझ डालते हैं ताकि सुन न सकें जब कुरान में अकेले खुदा की चर्चा करते हैं तो काफिर नफरत से उल्टे भाग खड़े होते हैं।

समीक्षा

जब अरबी कुरानी खुदा खुद ही नहीं चाहता कि लोग कुरान को सुनें और यदि सुनना भी चाहे तो वह उनके बीच में परदा डाल देता है। उनके दिल, दिमाग व कानों में बोझ डाल देता है। ताकि वे सुन व समझ न सकें तो फिर उनका क्या दोष है? असल में काफिर तो खुदा है जो लोगों को अपने प्यारे इलहाम को समझने से रोकता है।

कुरान समीक्षा : कलमे में मुहम्मद को शरीफ अर्थात् शामिल कर लेने से उसका पढ़ना इस आयत के विरूद्ध क्यों न माना जावे?

कलमे में मुहम्मद को शरीफ अर्थात् शामिल कर लेने से उसका पढ़ना इस आयत के विरूद्ध क्यों न माना जावे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व कजा रब्बु-क अल्ला तअ्-बुदू…………।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनी इस्राईल रूकू २ आयत २२)
खुदा के साथ किसी दूसरें की इबादत नहीं करना। नहीं तो तुम दुर्दशा पाकर बैठे रह जाओगे।
समीक्षा
यह हुक्म तो ठीक है पर मुसलमानों के मौजूद कल्में में खुदा के साथ ‘मोहम्मद रसूल्लाह’ जो बोला जाता है वह गलत है। कल्मा ही गलत हो जाता है। लाशरीक खुदा के साथ मुहम्मद को शरीक कर देने से मुसलमान काफिर बन जाते हैं।

कुरान समीक्षा : अरबी खुदा के जुल्मों का नमूना

अरबी खुदा के जुल्मों का नमूना
लोगों को तबाह करने के लिए खुदा जो गन्दे हथकण्डे इस्तेमाल करता है उनमें से एक यह उसने बताया है, ऐसे कुकर्म करने वाले को न्यायी खुदा कैसे माना जा सकता है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व इजा अ-रद्ना अन्नह्लि-क…………..।।
(कुरान मजीद पारा १५ बनी इस्राईल रूकू २ आयत १६)
हमको जब किसी गांव को मार डालना मंजूर होता है, हम उसके खुशहाल लोगों को आज्ञा देते हैं। फिर वह उसमें बेहुक्मी करते हैं तब उन पर यह सजा साबित हो जाती है। फिर हम उसी बस्ती को मार कर तबाह कर देते हैं।
समीक्षा
अरबी खुदा के दिमाग में खुशहाल लोगों को देखकर जलन पैदा होती है। जैसे कि तन्दरूस्त पशु को देखकर कसाई उसको मारने की सोचता है या सम्पन्न लोगों को देखकर डाकू बदमाश उन्हें लूटने की बात सोचते हैं। खुदा भी इसी प्रकार गन्दे हथकण्डों से उन पर लांछन लगाकर उनको तबाह कर देता है। यह इन्सानों का दुश्मन खुदा है। इसमें और राक्षसों में क्या अन्तर हो सकता है? कोई भी आदमी उससे अपनी भलाई की कैसे आशा कर सकता है? खुदा को बरबादी पसन्द है न कि प्रजा की खुशहाली पसन्द है।

कुरान समीक्षा : बिना पहले पैगम्बर भेजे खुदा सजा नहीं देता है

बिना पहले पैगम्बर भेजे खुदा सजा नहीं देता है
यदि खुदा का यह दावा सत्य है तो भारत-अमरीका चीन-जापान आदि सैकड़ों देशों के रहने वालों को खुदा कोई सजा नहीं दे सकेगा, क्यों कि उसके सारे पैगाम्बर केवल अरब कबीलों में ही पैदा हुए थे । संसार के अन्य देशों में कोई भी पैगम्बर ने क्यों नहीं भेजा था? यदि भेजे थे तो उनके नामों का कुरान में उल्लेख क्यों नहीं किया गया है?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
मनिह्तदा फइन्नमा यह्तदी……………..।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा बनीइस्त्राईल रूकू २ आयत १५)
जब तक हम पैगाम्बर को न भेजे लें किसी को भी उसके अपराध की सजा नहीं दिया करते।
समीक्षा
यदि यह दावा सही है तो दो सौ करोड़ साल से संसार में पैदा होने वाले लोगों को कर्मफल खुदा नहीं दे सकेगा। भारत में प्राचीनतम् काल से मनुष्यों की आबादी है पर खुदा ने किसी भी पैगम्बर को क्यों नहीं भेजा? यदि भेजा था तो उसका जिक्र ईसा, मूसा और नूह आदि की तरह कुरान में क्यों नहीं किया गया है?

कुरान समीक्षा : कुरान जिब्रील फरिश्ता लाया था

कुरान जिब्रील फरिश्ता लाया था
कुरान को यदि जिब्रील फरिश्ता लाया करता था तो एक बार जब लोगों ने उसे दिखाने को कहा था तब खुदा ने साफ इन्कार क्यों किया था कि हम फरिश्ता नहीं उतारा करते हैं (देखो कुरान पारा १४ सूरे हिज्र आयत ८ तथा प्रस्तुत पुस्तक का प्रश्न नं० ८१) खुदा की दोनों में से कौन सी बात गलत मानी जावे और क्यों?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
कुल् नज्ज-लहू रूहुल्-कुदुसि……….।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १४ आयत १०२)
कहो सच तो यह है कि इस (कुरान) को तुम्हारे परवर्दिगार की तरफ से पाक रूह जिब्रील लेकर आये हैं ताकि जो लोग ईमान ला चुके हैं खुदा उनको अचल रखे।
समीक्षा
यह आयत इसलिए गलत है क्योंकि पीछे सूरतें हिज्र आयत ८ में खुदा फरिश्ते उतारने की बात से साफ इन्कार कर चुका है। दोनों में से एक आयत अवश्य मिथ्या है। सच्चाई यह है कि कुरान मौहम्मद साहब ने लिखा था और खुदा के नाम से लिखा था ताकि लोग उनकी बात का विश्वास कर लेवें।

कुरान समीक्षा : कुरान में खुदा ने आयतें बदल डालीं

कुरान में खुदा ने आयतें बदल डालीं
खुदा ने अपनी पहली उतारी हुई आयतों को गलत अनुभव करके बाद में उन्हें अनेक स्थानों पर बदल डाला था इससे क्या यह स्पष्ट नहीं है कि खुदा बिल्कुल ठीक बात को भी एक बार में नहीं लिख सकता था। उसे अपनी पिछली बातों में लगातार संशोधन करना पड़ता था। इससे दो बातें साफ हो जाती हैं पहली यह कि खुदा दूरन्देश नहीं था। दूसरी यह कि मौजूदा कूरान पहली बार में उतरा हुआ पूरा सही कुरान नहीं हैं यह संशोधित कटा, छटा और फटा कुरान होने के कारण अप्रमाणिक है।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व इजा बद्ला आ- सतम् मका-न…………।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १४ आयत १०१)
जब हम एक आयत को बदलकर उसकी जगह दूसरी आयत उतारते हैं।
मा नन्सख् मिन् आयतिन् औ……….।।
(कुरान मजीद पारा १ सूरा बकर रूकू ११ आयत १०६)
और जो हुक्म उतरता है उसको वही खूब जानता है।
समीक्षा
अरबी खुदा जब भी अपनी पहली आयतों में गलती पाता था तो उनको कुरान में से निकालकर नई आयतें बनाकर घुसेड़ देता था। अपने हुक्मों में वह हमेशा तरमीम अर्थात् संशोधन करता रहता था, यह बात ऊपर के प्रमाण से स्पष्ट है। इसीलिए हम कहते हैं कि मौजूदा कुरान वह असली कुरान नहीं है जो पहली बार में उतरी हुई आयतों वाला था। यह तो कटा, छटा और फटा अधूरा संशोधित संस्करण है अतः अमान्य है। पटना की खुदाबख्श लाइब्रेरी में आज भी ४० सिपारे वाला कुरान रखा हुआ है जबकि मौजूदा कुरान में केवल ३० सिपारे ही मिलते हैं। इससे भी वर्तमान कुरान अमान्य हो जाता है।

कुरान समीक्षा : सबका एक गिरोह बनाना खुदा को मन्जूर न था

सबका एक गिरोह बनाना खुदा को मन्जूर न था
जब खुदा ही गुमराह करने वाला है तो जाँच-पड़ताल भी उसी से होगी भले आदमी तूने लागों को गुमराह करके जो गुनाह किया है उसकी तुझे क्यों न सजा दी जावे?
इन्सान से पूछना महज पागलपन होगा क्योंकि खुदा ने उसे गुमराह किया था इन्सान ने खुदा कोई गलती नहीं की थी?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
व लौ शा-अल्लाहु ल-ज-अ……..।।
(कुरान मजीद पारा १४ सूरा नहल रूकू १३ आयत ९३)
खुदा चाहता तो तुम सभी का एक गिरोह बना देता, मगर वह जिसको चाहता है गुमराह करता है और जिसको चाहता है सुझाता है और जो कुछ तुम करते रहे हो उसकी तुमसे पूछताछ होगी।
समीक्षा
जब खुदा ने ही नेक व बदमाशों को हिन्दू, मुसलमानों और यहूदियों के गिरोह अलग-अलग बनाकर उनको आपस में लड़ाया है तो उनसे उनके कर्मों की पूछ करने का उसे क्या हक है? बदमाशों के गिरोह बदमाशी करेंगे ही, वे बनाये ही इसलिये गए हैं।