जिस वस्तु का कोई अस्तित्व ही नहीं है उसे कैसे लपेटा जा सकता है स्पष्ट करें?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
अ-लम् त-र अन्नल्लाह यस्जुदु…………।।
(कुरान मजीद पारा १७ सूरा हज्ज रूकू १ आयत १८)
जिस दिन हम आसमान को इस तरह लपेटेंगे जैसे तुमान में कागज लपेटते हैं।
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शून्य आकाश को कागज की तरह लपेटने की बात कहने वाला खुदा और और कुरान बनाने वाले विद्या की योग्यता कितनी थी? यह सभी समझ सकते हैं तथा सूरज, चाँद आदि सब खुदा को सिज्दा करते हैं? इसमें कितनी सच्चाई है? यह सर्व विदित है।
पोला आकाश और ठोस जमीन का पिण्ड कैसे बन सका था साबित करें?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
अ-व-लम् य-रल्लजी-न क-फरू………..।।
(कुरान मजीद पारा १७ सूरा अम्बिया रूकू ३ आयत ३०)
क्या जो लोग इन्कार करने वाले हैं उन्होने नहीं देखा कि आसमान और जमीन और आसमान को अलग-अलग किया और पानी से तमाम जानदार चीजें बनाई तो क्या इस पर भी वे लोग ईमान नहीं लाते।
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क्या पोले आकाश और ठोस जमीन का पिण्ड भी बन सकता है? यह पढ़े लिखे लोग स्वयं सोच सकते हैं।
कुरानी खुदा ने उन दोनों को तोड़ कर जुदा-जुदा भी कर दिया, कैसी बुद्धि विरूद्ध बात है? भाइयों! आखिर इलहाम ही तो है, कोई न कोई तो विलक्षण बात उसमें होनी ही चाहिए।
असल कुरान खुदा के पास किस कठिन भाषा में लिखा हुआ रखा है, यह बताया जावे ?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
फइन्नमा यस्सर्नाहु बिलिसानि – क…….।।
(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ५ आयत ४३)
तो हमने इस (कुरान) को तुम्हारी जुबान में इस गरज से आसान कर दिया है कि तुम उससे परहेजगारों को खुशखबरी सुनाओ, झगड़ालुओं को सजा से डराओ।
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असली कुरान किस कठिन भाषा और कहाँ पर रखा हुआ है? यह भेद खोला जाना चाहिए तथा खुदा ने दुनिया को धोखा देने के लिए यह नकली माल क्यों सप्लाई किया? उस पर चार सौ बीसी का मुकदमा ठोकना चाहिये।
जबकि पहली किताबों अर्थात् तौरेत, जबूर और इन्जील में दी गई पुरानी बातों को ही कुरान में खुदा ने नकल किया है तो कुरान की कोई इज्जत नहीं रह गई, न उसकी जरूरत पुरानी किताबों के मौजूदा रहते बाकी रह जाती है। तब कुरान क्यों उतारा गया यह बतावे?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
मा युकालु ल-इल्ला मा कद्…………।।
(कुरान मजीद पारा २४ सूरा हामीम अस-सज्दा रूकू ५ आयत ४३)
(ऐ पैगम्बर) तुझसे वही बातें कही जाती है जो तुझसे पहले पैगम्बरों से कही जा चुकी हैं। बेशक तेरा परवर्दिगार क्षमा करने वाला और उसकी सजा दुखदाई है।
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जब कुरान सिर्फ पहले पैग्म्बरों को बताई हुई व उनकी किताबों में लिखी हुई बातों की ही नकल है तो फिर कुरान की विशेषता ही क्या रह जाती है ? नकल से असल किताबें हमेशा ज्यादा महत्व की साबित होती हैं। कुरान की शान इस आयत से कम हो जाती है।
दुनिया में सूरज की यह जगह कहां है जिसमें कीचड़ भरी है? इसका दुनिया के मोलवी से खुलासा करके बतावें।
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
हत्ता इजा ब-ल ग तग्रिबश्…………….।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा कहफ रूकू ११ आयत ८६)
यहां तक कि जब (सिकन्दर) सूरज डूबने की जगह पर पहुँचा तो उसको सूरज ऐसा दिखाई दिया कि वह काली कीचड़ के कुण्ड में डूब रहा है और देखा कि उस कुण्ड के करीब एक जाति बसी है।
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सूरज शाम को काली कीचड़ के कुण्ड में डूबता है और उस कुण्ड के किनारे एक जाति भी बसी है, कुरान की इस बात की तारीफ पढ़ने वाले बच्चे खूब करेंगे। आखिर कुरान खुदाई किताब जो है! उसमें ऐसी विलक्षण बातें न मिलेंगी तो और कहाँ मिलेंगी?
खुदा ने शैतानों की इस डर से मदद नहीं ली थी कि कहीं वे खुदा को ही गुमराह न कर देवें। बतावें कि खुदा का डर सही था या गलत?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
मा अश्हत्तुहुम् खल्कस्समावाति…………।।
(कुरान मजीद परा १५ सूरा कहफ रूकू ७ आयत ५१)
हमने आसमान और जमीन को पैदा करते समय खुद शैतान के पैदा करते समय भी ‘‘शैतानों’’ को नहीं बुलाया और हम ऐसे न थे कि राह भुलाने वालों को अपना मददगार बनाते।
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कुरान में एक शैतान ‘‘इब्लीस’’ का जिक्र आता है पर यहां ‘‘शैतानों’’ अर्थात बहुत से शैतान होने की बात कही गई है। खुदा ने इसी डर से दुनियां बनाते वक्त शैतानों की मदद नहीं ली थी कि वे कहीं खुदा को भी भुलावे में डाल कर गुमराह न कर देवें? खुदा का डर मुनासिब ही था
हो सकता है सारे शैतान मिलकर खुदा पर हावी हो जाते या खुदा के काम को बिगड़वा देते। खुदा ने बड़ी ही समझदारी से काम लिया था।
कुरान की यह शेखी इसलिये अमान्य है कि इस प्रश्नावली के सभी कुरान में ऐब (कमजोरी) साबित करने को काफी हैं?
देखिये कुरान में कहा गया है कि-
अल्हम्दु लिल्लाहिल्लजी अन्ज…………।।
(कुरान मजीद पारा १५ सूरा कहफ रूकू १ आयत १)
हर तरह की तारीफ खुदा ही को है जिसने अपने बन्दे (मौहम्मद) पर कुरान उतारा और उसमें कोई ऐब नहीं रखा।
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कुरान में पुरानी तौरेत, जबूर और इन्जील की तफसील अर्थात् व्याख्या है, परस्पर विरूद्ध बातों का उल्लेख है जिन्होंने खुदा की पाक जात को कलंकित किया है।
खगोल विद्या एंव विज्ञान के विरूद्ध अनेक स्थल हैं। खुदा को अल्पज्ञ व पक्षपाती बताया है, इत्यादि अनेक प्रकार के दोषों वाली आयतों की भरमार होने पर भी खुदा उसे ‘‘बे ऐब’’ बताता है। वास्तव में यह उसका कुछ जरूरत से ज्यादा ही हिम्मत का काम है।